क्या कहते हैं इस बारे में बिल्डर्स
निराला वर्ल्ड के सीएमडी सुरेश गर्ग के मुताबिक, एल्युमीनियम फोम शटरिंग (AFS) बेहद महंगा है. एएफएस के साथ निर्माण के लिए अधिक कंक्रीट और स्टील की भी आवश्यकता होती है, क्योंकि सभी दीवारें केवल इन्हीं से बनाई जाती हैं. लगभग 95% भवन निर्माण अब एल्युमिनियम शटरिंग पर किए जा रहे है. जिस पर काम करना परंपरागत तकनीक की तुलना में पूर्णतः अलग होता है. टावर को बेहतर क्वालिटी और फिनिशिंग देने के लिए अनुभवी श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है, जिनकी उपलब्धता एक चुनौती है. इसके लिए हम ऐसे अनुभवी लोगों को चुनते हैं, जो नए सिस्टम के अनुसार काम करने के साथ-साथ नए श्रमिकों को भी प्रशिक्षण दे सकें. इससे इस मॉडल पर काम करने लायक अधिक श्रमिक तैयार हो सकें. इससे समय और लागत दोनों प्रभावित हो रही है.
ईरोस ग्रुप के निदेशक अवनीश सूद के अनुसार, रियल एस्टेट में भवन निर्माण में नई तकनीक और वातावरण के अनुकूल ढांचा का निर्माण का मिश्रण करना समय की मांग है, जिससे अप्रत्याशित रूप से बदलते मौसम और कम ज्यादा होते तापमान में घर खरीदारों को अच्छे से अच्छे क्वालिटी का घर दिया जा सके. हमारे द्वारा अपने पूर्व अनुभवों को अपनी आवासीय परियोजना के लिए भी इस्तेमाल किया गया है, जिसमें हमने शुरू से ही निर्माण हेतु नवीनतम और इको-फ़्रेंडली तकनीक का इस्तेमाल किया है. इसके लिए उस स्तर के ट्रेंड टीम और हाई क्वालिटी मटीरियल का इस्तेमाल करना भी आवश्यक है और इस कारण लागत का बढ़ना स्वाभाविक है.